भारत सरकार ने 2025 के दादासाहेब फाल्के पुरस्कार के लिए साउथ के सुपरस्टार मोहनलाल को चुना है। यह पुरस्कार सिनेमा जगत का सबसे बड़ा सम्मान है, जो मोहनलाल के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। मोहनलाल ने साउथ के साथ-साथ हिंदी सिनेमा में भी अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने 18 साल की उम्र में फिल्मों में एंट्री की, लेकिन ‘मंज़िल विरिन्या पूक्कल’ (1980) से उन्हें असली पहचान मिली, जो बॉक्स ऑफिस पर हिट रही।
मोहनलाल के करियर का स्वर्णिम वर्ष 1986 रहा, जब उन्होंने एक ही साल में 34 फिल्में दीं। 26 साल की उम्र में यह उपलब्धि हासिल करने पर उनकी खूब सराहना हुई। इनमें से 25 फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रहीं, और हर 15 दिन में उनकी एक फिल्म रिलीज होती थी। मोहनलाल एक सफल फिल्म निर्माता भी रहे हैं। उनकी निजी जिंदगी की बात करें तो उनका जन्म केरल के पत्तनमतिट्टा जिले में हुआ था। उनके पिता एक सरकारी वकील थे। स्कूल के दिनों में ही उन्हें नाटकों में रुचि थी और छठीं कक्षा में उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा। मोहनलाल को पद्मश्री, पद्म भूषण और 5 राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। उन्होंने 1988 में सुचित्रा से शादी की, और उनके दो बच्चे हैं। उनकी अपनी फिल्म कंपनी, प्रणवम कला, और कई अन्य व्यवसाय भी हैं।