छत्तीसगढ़ के गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के जोड़ातालाब और घोघाड़बरा गांव के निवासियों ने ‘माउंटेन मैन’ दशरथ मांझी की तरह साहस दिखाया और श्रमदान से पहाड़ काटकर नया रास्ता बना डाला। वन विभाग द्वारा गांव में किए गए प्लांटेशन के कारण पुराने रास्ते को बंद कर दिया गया था, और विभाग ने पहाड़ पर एक कच्ची सड़क बनाई थी। यह सड़क गांव वालों के लिए कई समस्याओं का कारण बन गई थी, क्योंकि इस पर एम्बुलेंस या स्कूल बसें नहीं चल पाती थीं। जबकि पुराने रास्ते पर एम्बुलेंस और अन्य वाहन आसानी से आ-जा सकते थे।
हाल ही में, घोघाड़बरा गांव की एक बच्ची की अस्पताल में मृत्यु हो गई। एम्बुलेंस, जो शव को गांव वापस ला रही थी, पहाड़ में फंस गई। एम्बुलेंस ड्राइवर ने आगे जाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद गांव के लोगों ने खुद सड़क बनाने का फैसला किया। लगभग 30-40 ग्रामीणों ने मिलकर हथौड़े, कुदाल और फावड़ों से पहाड़ पर नया रास्ता बनाने का काम शुरू कर दिया।
गांव वालों ने आपसी सहयोग से धन एकत्रित किया और श्रमदान किया, जिसके परिणामस्वरूप कुछ ही दिनों में आवागमन के लिए एक सुविधाजनक सड़क तैयार हो गई। इस परियोजना में न तो वन विभाग और न ही प्रशासन ने कोई सहायता की। इस सड़क को बनाने का पूरा श्रेय गांव वालों की एकता को जाता है। सभी ने मिलकर चट्टानों को तोड़ा और मिट्टी हटाई। ग्रामीणों ने बताया कि जब उन्होंने वन विभाग से सड़क बनाने का अनुरोध किया तो उन्होंने मना कर दिया। जोड़ातालाब और घोघाड़बरा गांव के लोगों को इस बंद रास्ते के कारण भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। विभाग द्वारा बनाई गई सड़क ऊंची थी और उस पर अक्सर पत्थर गिरते थे, जिससे गांव वाले घायल हो जाते थे। स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति में एम्बुलेंस भी नहीं पहुंच पाती थी। स्कूली बच्चों को स्कूल जाने के लिए मुख्य सड़क तक जाना पड़ता था। इन सभी समस्याओं को देखते हुए ग्रामीणों ने श्रमदान से सड़क बनाने का निर्णय लिया। यह घटना ग्रामीण भारत की वास्तविक स्थिति को दर्शाती है, जहां विकास की बातें तो होती हैं, लेकिन लोग अपनी जान जोखिम में डालकर रास्ते बनाते हैं।