नेपाल में वर्तमान में गंभीर तनावपूर्ण स्थिति है, जिसका कारण हालिया राजनीतिक घटनाक्रम और तख्तापलट है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। काठमांडू सहित विभिन्न शहरों में युवाओं ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें सरकारी भवनों, संसद भवन और नेताओं के घरों को निशाना बनाया गया। इन घटनाओं के बीच, कई भारतीय नागरिक नेपाल में फंसे हुए थे।
भारत वापस लौटे लोगों, जिनमें ज्यादातर वे शामिल थे जो आंखों के इलाज के लिए गए थे, ने बताया कि नेपाल में अशांति के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने भारतीयों को निशाना नहीं बनाया। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों का गुस्सा केवल सरकार और राजनीतिक नेताओं के खिलाफ था। भारतीयों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया और अस्पतालों को भी सुरक्षित रखा गया।
कटिहार के निवासी राजू दास ने बताया कि वह अपने रिश्तेदारों के इलाज के लिए नेपाल गए थे। उन्होंने कहा कि सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे थे, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने मरीजों की सुरक्षा का ध्यान रखा। उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई और इलाज के बाद वे सुरक्षित लौट आए। सुधीर दास ने बताया कि वह विराटनगर के एक नेत्र अस्पताल में अपने मरीजों का इलाज कराने गए थे। उन्होंने बताया कि बाहर उपद्रव की स्थिति थी, जिसके कारण डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल से बाहर न निकलने की सलाह दी, लेकिन अस्पताल सुरक्षित था और इलाज जारी रहा। स्थिति सामान्य होने पर उन्हें भारत वापस भेज दिया गया।
नेपाल ने हाल के वर्षों में नेत्र चिकित्सा सहित स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण प्रगति की है। सीमांचल और आसपास के क्षेत्रों के लोग बेहतर और सस्ता इलाज कराने के लिए नेपाल जाते हैं। नेपाल के अस्पतालों में आधुनिक सुविधाएं हैं, जो इसे पर्यटन के साथ-साथ एक प्रमुख चिकित्सा स्थल भी बनाता है।