पाकिस्तान में आतंकवाद को नियंत्रित करने का कार्य अब हाफिज सईद के एक सहयोगी को सौंपा गया है। सरकार ने उलेमाओं की एक समिति बनाई है जो आतंकवादियों पर नियंत्रण रखेगी और शांति स्थापित करने का प्रयास करेगी। इस समिति का नेतृत्व ताहिर असरफी करेंगे।
ताहिर, लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद के करीबी माने जाते हैं। दोनों कई बार सार्वजनिक मंचों पर साथ दिखे हैं। 2018 में, ताहिर हाफिज के साथ लाहौर हाईकोर्ट में पेशी के दौरान भी मौजूद थे। ताहिर और हाफिज के संबंधों के कारण 2018 में फिलिस्तीन के राजदूत को इस्लामाबाद छोड़ना पड़ा था।
ताहिर असरफी, पाकिस्तान के जाने-माने इस्लामिक विद्वान हैं और पाकिस्तान उलेमा के प्रमुख हैं। वह पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत, पंजाब में रहते हैं। ताहिर ने इस्लामी विषयों में शिक्षा प्राप्त की है और सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहते हैं, जहां उनके 55 हजार से अधिक फॉलोअर हैं।
2020 में, तत्कालीन इमरान खान सरकार ने ताहिर को धार्मिक मामलों का सलाहकार नियुक्त किया था। ताहिर मध्य पूर्व के मामलों के विशेषज्ञ भी हैं और पाकिस्तानी राजनीति में उनका प्रभाव है। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है और पीएचडी करने से पहले पत्रकार भी रहे हैं।
पाकिस्तान में बढ़ती आतंकवादी घटनाओं के मद्देनजर, शहबाज शरीफ की सरकार ने एक शांति समिति का गठन करने का निर्णय लिया है। इस समिति में हाजी अब्दुल करीम, अब्दुल रहमान, आरिफ हुसैन वाहिदी, नकीब उर रहमान, हुसैन नईमी और ताहिर असरफी जैसे धार्मिक विद्वानों को शामिल किया गया है। ताहिर को इस समिति का समन्वयक बनाया गया है। इस समिति में हिंदू धर्म से राजेश हर्दसानी और ईसाई धर्म से बिशप आजाद मार्शल भी शामिल हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य आतंकवादियों के साथ बातचीत करना और पाकिस्तान में स्थिरता लाना है।