केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ग्रीन मोबिलिटी के भविष्य पर बात करते हुए कहा कि यह सिर्फ इलेक्ट्रिक या बायोफ्यूल वाहनों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पुरानी गाड़ियों की स्क्रैपिंग पर भी निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि स्क्रैपिंग से प्रदूषण कम होगा और ऑटोमोबाइल व स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र को कच्चा माल मिलेगा।
FADA के 7वें ऑटो रिटेल कॉन्क्लेव में गडकरी ने कहा कि स्क्रैपिंग से मिलने वाली उच्च गुणवत्ता वाली धातु को 100% रीसायकल किया जा सकता है, जिससे लागत कम होगी और घरेलू उत्पादन क्षमता बढ़ेगी।
गडकरी ने वाहन निर्माताओं और डीलरों से आग्रह किया कि वे स्क्रैपिंग को एक अवसर समझें, न कि बोझ। उन्होंने कहा कि भारत हर साल लगभग ₹22 लाख करोड़ का जीवाश्म ईंधन आयात करता है, जिसे कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन, वैकल्पिक ईंधन और स्क्रैपिंग की संयुक्त रणनीति की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि आने वाले समय में ईवी उत्पादन और सोडियम-एल्युमिनियम जैसी नई बैटरी तकनीकों की मांग बढ़ेगी, जिसके लिए स्क्रैपिंग से बड़ी मात्रा में खनिज मिल सकते हैं। सरकार स्क्रैपिंग से प्राप्त कच्चे माल के उपयोग के लिए एक पेशेवर नीति पर काम कर रही है।
गडकरी ने डीलरों को स्क्रैपिंग में शामिल होने का आह्वान किया, जिससे घरेलू बाजार और निर्यात दोनों में निर्माताओं को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि इससे डीलरों के लिए एक नया बाजार खुलेगा।
स्क्रैपिंग नीति भारत की ग्रीन मोबिलिटी के लिए महत्वपूर्ण है। डीलरों और निर्माताओं के सहयोग से उद्योग को लाभ होगा और देश आत्मनिर्भर व पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनेगा।