नेपाल में राजनीतिक परिदृश्य बदल रहा है, जहां केपी शर्मा ओली को सत्ता से हटना पड़ा और अब सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालेंगी। यह बदलाव भारत के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। उनकी नियुक्ति को भारत के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
सुशीला कार्की के दृष्टिकोण को समझने से पहले, उनके पृष्ठभूमि पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। उन्होंने नेपाल में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में सक्रिय भूमिका निभाई है। 2016 में, वह नेपाल सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश बनीं और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ कई ऐतिहासिक फैसले लिए। इन कार्यों ने उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाया। सुशीला कार्की का भारत से भी करीबी रिश्ता रहा है, क्योंकि उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है।
भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
दो देशों के बीच संबंध अक्सर सत्ता में बैठे नेताओं की विचारधारा से प्रभावित होते हैं। इतिहास इस बात का प्रमाण है। उदाहरण के लिए, बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व में भारत के साथ मजबूत संबंध थे, लेकिन यूनुस के आने के बाद इसमें बदलाव आया। अब नेपाल में सुशीला कार्की के नेतृत्व में हालात बदल सकते हैं, क्योंकि ओली का रुख भारत विरोधी था।
सुशीला कार्की की भारत यात्रा की यादें आज भी ताज़ा हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें BHU के शिक्षक और दोस्त आज भी याद हैं। उन्होंने गंगा नदी के किनारे बिताए दिनों को भी याद किया।
सुशीला कार्की भारत और नेपाल के बीच संबंधों को लेकर सकारात्मक हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति सम्मान व्यक्त किया और उनकी सराहना की। उन्होंने कहा कि वे भारत के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने की उम्मीद करती हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि नेपाल और भारत के लोगों के बीच पहले से ही अच्छे संबंध हैं। दोनों देशों के लोग एक-दूसरे को परिवार मानते हैं।
सुशीला कार्की खुद को भारत के करीब मानती हैं। उन्होंने कहा कि उनका घर भारत की सीमा के पास है और वे अक्सर सीमा पर स्थित बाज़ारों में जाती हैं।
नेपाल में भारत की नज़र
भारत नेपाल में हो रहे घटनाक्रमों पर करीब से नज़र रख रहा है। भारत और नेपाल के बीच 1750 किलोमीटर लंबी सीमा है। नेपाल की सीमा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम से लगती है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी नेपाल की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।
नेपाल में अशांति का असर भारत में रह रहे नेपाली समुदाय पर भी पड़ रहा है। लगभग 35 लाख नेपाली भारत में काम करते हैं, और यह संख्या वास्तविक रूप से और भी अधिक हो सकती है। नेपाल एक हिंदू बहुल देश है, और दोनों देशों के लोगों के बीच मजबूत संबंध हैं। नेपाली नागरिक बिना वीज़ा या पासपोर्ट के यात्रा कर सकते हैं। 1950 की संधि के तहत, नेपाली बिना किसी प्रतिबंध के भारत में काम कर सकते हैं। नेपाल के 32,000 गोरखा सैनिक भारतीय सेना में सेवारत हैं।
केपी शर्मा ओली
केपी शर्मा ओली चीन की ओर झुकाव रखते थे और उन्होंने अपने कार्यकाल में भारत के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचाया। उन्होंने भारत पर कई आरोप भी लगाए। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर का विरोध करने और लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के मुद्दे को उठाने के कारण अपनी सत्ता खो दी।
पूर्व नेपाली पीएम ने कहा कि लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा नेपाल के हैं और उन्होंने यह भी कहा कि भगवान राम का जन्म नेपाल में हुआ था। उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने इन मुद्दों पर समझौता किया होता, तो वे सत्ता में बने रह सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।