मॉरीशस, एक खूबसूरत द्वीप, अपनी संस्कृति और समृद्धि के लिए जाना जाता है। हाल के शोध से पता चला है कि यहां की संस्कृति और डीएनए में भारत, खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों का गहरा प्रभाव है।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के शोध के अनुसार, मॉरीशस के लगभग 55% लोगों का डीएनए यूपी और बिहार के भोजपुरी बोलने वाले दलित समुदाय से मिलता है। प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने 2021 में इस शोध की शुरुआत की और मॉरीशस से लिए गए नमूनों का विश्लेषण किया।
यह शोध मॉरीशस में भारतीय मूल के लोगों के योगदान को दर्शाता है। मॉरीशस में आज भी गंगा और छठी मईया की पूजा होती है, और शादी के बाद गंगई माता की पूजा की जाती है।
मॉरीशस में भारतीय मजदूरों का आगमन 1810 में अंग्रेजों के शासन के दौरान शुरू हुआ। इन मजदूरों को यूपी और बिहार से लाया गया, और उन्होंने अपनी संस्कृति और आस्था को जीवित रखा। विलियम जैसे लेखकों ने इन मजदूरों के संघर्ष और साहस की सराहना की है, जिन्होंने गन्ने और कपास की खेती के दौरान रामचरितमानस का पाठ किया। मॉरीशस में आज भी ‘पहलवान छाप’ बीड़ी जैसी सांस्कृतिक पहचान मौजूद है, जो उनके पूर्वजों के संघर्ष की याद दिलाती है।