नेपाल में सत्ता और युवा पीढ़ी के बीच टकराव शुरू हो गया है, जो युवा पीढ़ी का विद्रोह है। यह ओली सरकार में बढ़ते भ्रष्टाचार के विरुद्ध युवाओं का आक्रोश है। यह नेपाल के इतिहास की अभूतपूर्व क्रांति है। नेपाल में सरकार के खिलाफ ऐसा प्रदर्शन शायद ही कभी हुआ हो। विभिन्न शहरों में कर्फ्यू लगाया गया है। 15,000 से अधिक युवा प्रदर्शनकारी नेपाल की सड़कों पर हैं। सवाल यह है कि विरोध का कारण क्या है, क्यों नेपाल की 43% आबादी सड़कों पर उतर आई और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है? क्या यह चीन और अमेरिका के बीच वर्चस्व की लड़ाई है?
दरअसल, यह ओली सरकार के सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का परिणाम है। कई सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया गया है। सरकार ने नियमों का हवाला देते हुए अचानक 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया, जिनमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर शामिल हैं। लेकिन छात्रों और युवाओं का आरोप है कि यह उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। युवाओं का कहना है कि सरकार भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए उनकी आवाज को दबा रही है। सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि जिन सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया गया, वे अमेरिकी हैं। चीनी सोशल मीडिया ऐप्स पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली ने यह फैसला चीन से लौटने के बाद लिया। ऐसा माना जाता है कि ओली नेपाल में चीन जैसा सेंसरशिप लागू करना चाहते हैं। साथ ही, चीन के साथ बढ़ती निकटता को भी इसका कारण माना जा रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अचानक लगे प्रतिबंध से युवा हैरान हैं। आज जब लोग एक सेकंड के लिए भी फोन से दूर नहीं रह पाते, तो सोशल मीडिया के बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। युवाओं का तर्क है कि सोशल मीडिया उनके जीवन को प्रभावित करेगा। सोशल मीडिया से होने वाली आय समाप्त हो जाएगी। कई लोगों के रोजगार पर असर पड़ेगा जो सोशल मीडिया के माध्यम से पैसे कमाते थे। उनका यह भी तर्क है कि इससे बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ेगा।
ओली सरकार का कहना है कि इन कंपनियों ने नेपाल सरकार के साथ पंजीकरण प्रक्रिया पूरी नहीं की, इसलिए यह कार्रवाई की गई। सरकार ने इन कंपनियों को 7 दिन का नोटिस दिया और मंत्रालय में पंजीकरण करने को कहा, लेकिन समय पर कंपनियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद सरकार ने दूरसंचार प्राधिकरण को आदेश दिया और 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बंद कर दिया, जिसके कारण यह प्रतिबंध युवाओं के गुस्से का कारण बन गया और नेपाल में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। युवाओं के आंदोलन से नेपाल की पूरी सरकार हिल गई।
नेपाल सरकार ने अमेरिकी कंपनी फेसबुक पर प्रतिबंध लगाया, लेकिन चीनी ऐप टिक टॉक पर कोई कार्रवाई नहीं की। अमेरिकी कंपनी इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और मैसेंजर को प्रतिबंधित कर दिया गया, जबकि वीचैट जैसे चीनी ऐप पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया। अमेरिकी कंपनी यूट्यूब, एक्स, स्नैपचैट पर प्रतिबंध लगाया गया, लेकिन वीबो और लाइक जैसे चीनी ऐप पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया। केपी शर्मा ओली की कम्युनिस्ट सरकार की चीन से निकटता किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में अमेरिकी ऐप्स पर प्रतिबंध और चीन को खुली छूट देना इस संदेह को बढ़ाता है कि नेपाल अब चीन के रास्ते पर है। नेपाल में युवा विद्रोह जिस गति से बढ़ रहा है और रीलों की लड़ाई वास्तविक युद्ध में बदल रही है, उसने ओली सरकार के लिए तख्तापलट का संकेत दे दिया है।