चीन में एससीओ बैठक और विजय दिवस परेड के तुरंत बाद, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बयान में अफ़सोस ज़ाहिर किया। ट्रम्प ने सोशल नेटवर्किंग ऐप ट्रुथ पर लिखा, ‘चीन के चलते हमने व्लादिमीर पुतिन (रूस) और नरेंद्र मोदी (भारत) जैसे दोस्तों को खो दिया।’ सवाल उठता है कि रूस और भारत के खिलाफ लगातार आलोचना करने वाले ट्रम्प ने ऐसा क्यों कहा?
पहले भारत पर नज़र डालें
अमेरिका और भारत के बीच वर्षों पुरानी दोस्ती है। दक्षिण एशिया में भारत एकमात्र देश है जो चीन के खिलाफ मजबूती से खड़ा है। भारत की आबादी चीन से ज़्यादा है। चीन की तरह भारत भी परमाणु शक्ति संपन्न देश है। जब ट्रम्प पहली बार राष्ट्रपति बने तो उन्होंने इस दोस्ती को और मज़बूत किया।
नतीजतन, 2019 और 2020 में ट्रम्प-मोदी ने अमेरिका और भारत में संयुक्त रैलियाँ कीं। जनवरी 2025 में अमेरिका में जब अशांति का दौर था, तब भारत ही एकमात्र ऐसा देश था जिसके 80 प्रतिशत लोग ट्रम्प का समर्थन कर रहे थे। यूरोपीय विदेश विभाग के एक सर्वे में भी यही बात सामने आई थी कि 80 प्रतिशत भारतीय चाहते थे कि ट्रम्प राष्ट्रपति बनें।
लेकिन पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ गए। रूस से तेल खरीदने के आरोप में अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया। इतना ही नहीं, ट्रम्प और उनके सलाहकार लगातार भारत के खिलाफ टिप्पणियाँ करते रहे। एक्सियोस के अनुसार, ट्रम्प की ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ टीम की वजह से भारत से अमेरिका के रिश्ते खराब हो गए।
वहीं, अमेरिका से रिश्ते खराब होने के बाद भारत और चीन के बीच रिश्तों में जिस तरह से सुधार हुआ है, उसने अमेरिका की चिंता बढ़ा दी है। जर्मनी की एक पत्रिका ने हाल ही में दावा किया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति की तमाम कोशिशों के बावजूद भारत के प्रधानमंत्री ने टैरिफ पर बात करने से इनकार कर दिया।
अब पुतिन पर नज़र डालें
डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति बनने के बाद रूस के साथ रिश्ते बेहतर करने में जुट गए, लेकिन उन्हें कोई बड़ी सफलता नहीं मिली। ट्रम्प टीम का कहना है कि रूस और चीन जैसी दो महाशक्तियों का एक साथ आना अमेरिका के लिए खतरनाक है। इससे दोनों की सामरिक ताक़त बढ़ेगी, और दोनों के बाज़ार भी तेज़ी से आगे बढ़ेंगे।
पुतिन और शी जिनपिंग ने बीजिंग में जिस तरह से उत्तर कोरिया और ईरान के साथ शक्ति प्रदर्शन किया, उससे अमेरिका चिंतित है। पहली बार चीन और रूस ने उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन के परमाणु निरस्त्रीकरण पर कोई बात नहीं की।
इससे कोरियाई प्रायद्वीप में अमेरिका को झटका लगा है। ट्रम्प ने हाल ही में परमाणु हथियार खत्म करने के लिए किम से मुलाक़ात की बात कही थी। अब पुतिन और शी जिनपिंग ने जिस तरह से किम को समर्थन दिया है, उससे नहीं लगता कि अमेरिका की बात किम मानेंगे।
पुतिन मध्य पूर्व में ईरान के ज़रिए भी खेल खेल रहे हैं। ईरान ने हिज़्बुल्लाह और हूती जैसे प्रॉक्सी संगठनों को फिर से पैसा देना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, ईरान यूरेनियम संवर्धन का काम भी कर रहा है। पुतिन के विरोधी खेमे में होने की वजह से अब दुनिया के जितने भी अमेरिकी विरोधी देश हैं, वे धीरे-धीरे एक मंच पर आ गए हैं या आ रहे हैं।
यही वजह है कि ट्रम्प अब अपनी गलती सुधारना चाहते हैं। इसलिए वे सोशल मीडिया पर पोस्ट करके अफ़सोस ज़ाहिर कर रहे हैं।