कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिहार में वोटर अधिकार यात्रा निकाल रहे हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य SIR और वोट चोरी के खिलाफ जागरूकता फैलाना और इंडिया गठबंधन को मजबूत करना है। यह यात्रा 17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई और 1 सितंबर को पटना में एक बड़ी रैली के साथ समाप्त होगी। इस यात्रा में इंडिया गठबंधन के कई प्रमुख नेता भाग ले रहे हैं।
यह राहुल गांधी की तीसरी बड़ी यात्रा है, जिसमें पहले ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और ‘भारत जोड़ो यात्रा-2’ शामिल थीं। इस यात्रा में विपक्षी दलों के नेताओं की उपस्थिति पिछली यात्राओं की तुलना में अधिक है।
यात्रा बिहार के कई जिलों से गुजर रही है, जिसमें गयाजी, शेखपुरा, नवादा, कटिहार, पूर्णिया, लखीसराय, मुंगेर, मधुबनी, दरभंगा, सारण, भोजपुर, सीतामढ़ी, पश्चिमी चंपारण और पटना शामिल हैं।
लोकसभा चुनावों के बाद SIR के मुद्दे पर एकजुट हुए इंडिया गठबंधन के नेता अब इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं। तेजस्वी यादव, दीपंकर भट्टाचार्य, मुकेश सहनी सहित बिहार के महागठबंधन के नेता राहुल गांधी के साथ हैं। इस यात्रा से नाराज पप्पू यादव भी तेजस्वी यादव के साथ आ गए हैं, और मुकेश सहनी के मनमुटाव भी कम हो रहे हैं।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी यात्रा में शामिल हुए हैं, जो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी यात्रा में शामिल होंगे। इस यात्रा में इंडिया गठबंधन के अन्य नेताओं की भागीदारी गठबंधन के भीतर गहरे सहयोग का संकेत देती है, जिससे कार्यकर्ताओं को और अधिक सक्रिय किया जा सकेगा।
राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव की उपस्थिति विधानसभा चुनावों से पहले विपक्ष के अभियान को मजबूत करेगी। गठबंधन का लक्ष्य चुनावी पारदर्शिता और मतदाता भागीदारी को बढ़ावा देना है और चुनाव आयोग द्वारा SIR की प्रक्रिया का विरोध करना है।
विपक्षी गठबंधन के नेता पहले दिल्ली और रांची में प्रदर्शनों में साथ आए थे। अब, राहुल गांधी की यात्रा में, शीर्ष नेता एक बार फिर एक साथ आ रहे हैं। इंडिया गठबंधन में ऐसी पार्टियां भी शामिल हैं जो एक-दूसरे की प्रतिद्वंद्वी हैं।
केरल में कांग्रेस का मुकाबला वाम दलों से होगा, जबकि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का मुकाबला कांग्रेस और वामपंथी दलों से होगा। फिर भी, वे ‘चुनावी कदाचार’ और बिहार में एसआईआर के मुद्दे पर एकमत हैं, जिससे वे एकजुट हैं।
राहुल गांधी के साथ टीएमसी के अभिषेक बनर्जी के बीच घनिष्ठता देखी गई। टीएमसी अन्य दलों से अलग होने पर जोर देती रही है। राहुल गांधी ने अभिषेक बनर्जी और ममता बनर्जी को 1 सितंबर को पटना रैली में आमंत्रित किया है, जिससे कांग्रेस और टीएमसी के बीच की दूरी कम हो सकती है।
तृणमूल कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ती रही है। यह देखना होगा कि क्या पश्चिम बंगाल के आगामी विधानसभा चुनावों में टीएमसी और कांग्रेस एकजुट रह पाएंगी।
कांग्रेस इंडिया गठबंधन को बनाए रखने में विफल रही, लेकिन राहुल गांधी की यात्रा ने फिर से गठबंधन को एकजुट किया है। यह एकजुटता उपराष्ट्रपति चुनाव में भी दिखाई दी, जहां विपक्ष ने एनडीए के उम्मीदवार के खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा किया। हालांकि एनडीए की जीत निश्चित है, लेकिन इस कदम ने भविष्य की राजनीति की ओर इशारा किया है।