डॉ. सै नत्रा बेटगेरि ने एक नई AI पद्धति तैयार की है जो मशीन लर्निंग और भौतिकी को जोड़कर विज्ञान के बुनियादी समीकरण, एड्वेक्शन समीकरण, को हल करती है। एड्वेक्शन समीकरण बताता है कि गर्मी, गंदगी या तरंगें समय और स्थान में कैसे गति करती हैं, और यह मौसम पूर्वानुमान, जलवायु मॉडल और विमानन में अहम भूमिका निभाता है। पहले इस समीकरण को हल करने के लिए बहुत अधिक कंप्यूटेशन और सख्त स्थिरता शर्तें लगती थीं, पर पिन (Physics‑Informed Neural Network) के जरिए अब एक न्यूरल नेटवर्क सीख सकता है कि समाधान कैसा दिखेगा, जबकि वह स्वाभाविक रूप से भौतिक नियमों का पालन करता है।
पिन्स मॉडल के भीतर ही भौतिकी को एम्बेड करते हैं, जिससे नेटवर्क सिर्फ डेटा में पैटर्न ढूंढ़ने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि प्राकृतिक नियमों को भी समझता है जो पूरे सिस्टम को नियंत्रित करते हैं। बड़े या शोर वाले डेटा सेट के बावजूद, नेटवर्क उच्च सटीकता से तरंग जैसी समाधान को दोहरा पाया, और कम गणनात्मक ओवरहेड के लिये पारंपरिक तरीकों से बेहतर रहा।
डॉ. बेटगेरि ने इस काम के लिए पायटॉर्च का इस्तेमाल किया, जिससे ऑटोमैटिक डिफ़रेंशिएशन के माध्यम से एड्वेक्शन समीकरण की आवश्यक अवकलनों को आसानी से गणना किया जा सकता है। GPU एक्सेलेरेशन से प्रशिक्षण तेज़ हुआ, जिससे वास्तविक दुनिया की समस्याओं में इस पद्धति को लागू करना आसान हुआ।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रगति उन उद्योगों में क्रारी बदलाव ला सकती है जहाँ तेज़ और भरोसेमंद सिमुलेशन ज़रूरी हैं। पर्यावरण वैज्ञानिक इसका इस्तेमाल प्रदूषण के फैलाव की भविष्यवाणी में कर सकते हैं, विमानन इंजीनियर शॉक वेव्स का सिमुलेशन कर सकते हैं, और मौसम वैज्ञानिक तूफ़ान पूर्वानुमान को बेहतर बना सकते हैं।
डॉ. बेटगेरि कहते हैं कि यह कदम भौतिकी और AI के मेल की ओर एक रोमांचक प्रगति है। गहन शिक्षण सिर्फ डेटा‑आधारित नहीं होकर ज्ञान‑आधारित भी हो सकता है, जो स्वयं प्रकृति के नियमों द्वारा निर्देशित हो।
अगला लक्ष्य? बहु‑आयामी और गैर‑रैखिक समस्याओं में इस पद्धति को विस्तार देना, ताकि सिविल इंजीनियरिंग और महामारी विज्ञान जैसी वास्तविक दुनियावी प्रणालियों में भौतिक‑सूचित AI की शक्ति और अधिक स्पष्ट हो सके।
जैसे-जैसे AI और भौतिकी की सीमाएँ धुंधली होती जा रही हैं, यह शोध दर्शाता है कि विज्ञान का भविष्य डेटा या सिद्धांत के बीच चयन में नहीं, बल्कि दोनों के बेहतरीन संयोजन में है।