क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि पिछले 80 वर्षों में 2000 से अधिक परमाणु विस्फोट हुए हैं? हिरोशिमा और नागासाकी से लेकर आज तक, इन धमाकों ने न केवल इतिहास को आकार दिया है, बल्कि आज की दुनिया को भी प्रभावित किया है, जिसमें राजनीति, पर्यावरण और मानवता शामिल है।
1945 में, द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में, अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर ‘लिटिल बॉय’ और नागासाकी पर ‘फैट मैन’ नामक परमाणु बम गिराए। इन हमलों में लाखों लोग मारे गए, लेकिन असली त्रासदी तब शुरू हुई जब रेडियोधर्मी वर्षा ने आने वाली पीढ़ियों में कैंसर और जन्म दोषों का कारण बना। जापान में आज भी हजारों ‘हिबाकुशा’ जीवित हैं, जो परमाणु हमलों से बचे हैं।
जापान पर अमेरिकी परमाणु बम विस्फोट के बाद, सोवियत संघ ने 1949 में पहला परमाणु परीक्षण किया। इसके बाद, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन ने भी परमाणु हथियार विकसित किए।
1962 में क्यूबा मिसाइल संकट ने दुनिया को परमाणु युद्ध के कगार पर ला दिया। इस संकट ने परमाणु हथियारों के खतरे को उजागर किया।
1945 से अब तक दुनिया भर में 2,000 से अधिक परमाणु विस्फोट हो चुके हैं। इनमें से कई खुले वातावरण में किए गए थे, जिससे रेडियोधर्मी कण दुनिया भर में फैल गए। मार्शल द्वीप समूह, कजाकिस्तान, अल्जीरिया और ऑस्ट्रेलिया के लोग आज भी विकिरण के संपर्क में आने से होने वाली बीमारियों से जूझ रहे हैं।
भारत ने 1974 में ‘स्माइलिंग बुद्धा’ के नाम से अपना पहला परमाणु परीक्षण किया। पाकिस्तान ने 1998 में पोखरण-II परीक्षण के बाद परमाणु हथियार विकसित किए। आज, दोनों देशों के पास सैकड़ों परमाणु हथियार हैं।
2025 तक, 9 देशों के पास कुल 12,300 परमाणु हथियार हैं। रूस और अमेरिका के पास सबसे अधिक हथियार हैं।
परमाणु हथियारों पर वैश्विक खर्च बढ़ रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान, रूसी राष्ट्रपति ने परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी दी। चीन भी अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार कर रहा है।
परमाणु परीक्षणों से वातावरण में रेडियोधर्मी प्रदूषण हुआ है, जो आज भी खाद्य श्रृंखला को प्रभावित कर रहा है।
मार्शल द्वीप समूह, कजाकिस्तान और नेवादा के लोग विकिरण से होने वाली बीमारियों से जूझ रहे हैं।
परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के बावजूद, परमाणु हथियार विकसित होते जा रहे हैं।
दुनिया एक ऐसे मोड़ पर है जहां परमाणु हथियार बढ़ रहे हैं, साथ ही निरस्त्रीकरण के प्रयास भी हो रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) परमाणु खतरे को और बढ़ा सकता है।
परमाणु तबाही के खतरे को खत्म करने का एकमात्र तरीका पूर्ण निरस्त्रीकरण है।
दुनिया भर के लोग, वैज्ञानिक और नेता परमाणु हथियारों के खिलाफ खड़े हैं।