दक्षिण क्षेत्र के चयनकर्ताओं ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को चुनौती देते हुए, आगामी दलीप ट्रॉफी 2025-27 के लिए अपनी टीम में कई केंद्रीय रूप से अनुबंधित खिलाड़ियों को शामिल करने से इनकार कर दिया।
बीसीसीआई और दक्षिण क्षेत्र के बीच टकराव की वजह
कुछ समय पहले, बीसीसीआई ने सभी क्रिकेट संघों को एक ईमेल भेजा था, जिसमें सभी से अनुरोध किया गया था कि वे टूर्नामेंट के लिए अपनी-अपनी क्षेत्रीय टीमों में केंद्रीय रूप से अनुबंधित खिलाड़ियों को शामिल करें। यह संदेश सभी को भेजा गया था, लेकिन इसका मुख्य निशाना दक्षिण क्षेत्र था, जिसने केएल राहुल, वाशिंगटन सुंदर, मोहम्मद सिराज, साई सुदर्शन और प्रसिद्ध कृष्णा जैसे जाने-माने खिलाड़ियों को बाहर कर दिया।
हालांकि, टीम में केवल तिलक वर्मा को जगह मिली, जिसके बाद बोर्ड ने इस पर आपत्ति जताई।
चयनकर्ताओं का दृढ़ रुख
दक्षिण क्षेत्र के चयनकर्ताओं ने अपने फैसले का बचाव किया है, उनका मानना है कि दलीप ट्रॉफी रणजी ट्रॉफी और अन्य घरेलू सर्किट में अच्छा प्रदर्शन करने वाले घरेलू खिलाड़ियों के लिए एक सम्मान होना चाहिए।
दक्षिण क्षेत्र के एक अधिकारी ने कहा,
“केरल 90 साल में पहली बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचा और खिताब जीतने से चूक गया। उनके खिलाड़ी दलीप ट्रॉफी टीम में जगह पाने के हकदार हैं। अगर केंद्रीय अनुबंधित खिलाड़ी इसका हिस्सा बनना चाहते हैं, तो उन्हें भी रणजी खेलना होगा और दूसरों की तरह योग्य बनना होगा।”
चयनकर्ताओं का यह भी तर्क था कि राहुल और सिराज जैसे खिलाड़ियों को घरेलू प्रतिभा को मौका देने की बजाय, इंडिया ए मैचों में खेलने का अवसर दिया जा सकता है।
चयन की रणनीति पर बहस
इस फैसले से भारतीय क्रिकेट में एक नई बहस छिड़ गई है। क्या दलीप ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट में घरेलू खिलाड़ियों को मौका देना अधिक महत्वपूर्ण है, या फिर इनका इस्तेमाल भारत के शीर्ष खिलाड़ियों को मैच के लिए तैयार रखने के लिए करना चाहिए?
एशिया कप और अन्य बड़े टूर्नामेंटों के आने के साथ, बीसीसीआई इस मुद्दे को कैसे सुलझाता है, यह भविष्य की चयन नीतियों को तय कर सकता है।