मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में रांची में हुई राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक में 51 कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया गया। ये सभी कैदी झारखंड के विभिन्न जिलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। बैठक में 37 नए मामलों और पहले खारिज किए गए 66 मामलों पर भी विचार किया गया। बैठक में कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे, जिन्होंने रिहाई के प्रस्ताव पर गहन विचार-विमर्श किया।
मुख्यमंत्री ने प्रत्येक कैदी की फाइल का अध्ययन किया और उनकी उम्र, परिवार, सामाजिक और शैक्षिक स्थिति की जानकारी ली। बीमार और मानसिक रूप से अस्वस्थ कैदियों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया गया। डॉक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर उनकी रिहाई पर फैसला किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि रिहा होने वाले कैदियों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ा जाए।
बैठक में यह भी तय हुआ कि जिन कैदियों ने 14 साल से अधिक समय जेल में बिताया है, जिनकी उम्र अधिक है और जिनका आचरण अच्छा रहा है, उन्हें भी रिहा किया जाएगा। अधिकारियों को उन्हें एक बेहतर सामाजिक जीवन शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए गए। 2019 से अब तक, झारखंड में 619 कैदियों को रिहा किया जा चुका है, जिनमें से 470 को विभिन्न सरकारी योजनाओं से जोड़ा गया है। इन योजनाओं में पेंशन, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड और आवास योजनाएं शामिल हैं। जिन कैदियों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिला है, उन्हें भी जल्द ही जोड़ा जाएगा।