छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक मामले में फैसला सुनाया है, जिसमें एक महिला ने पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद अपने पति के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया था। अदालत ने माना कि पत्नी द्वारा पति को बेरोजगार होने का ताना मारना और आर्थिक तंगी के दौरान उसकी मांगों को पूरा न करना मानसिक क्रूरता है।
उच्च न्यायालय ने पारिवारिक अदालत के फैसले को खारिज कर दिया, जिसने पहले पति की तलाक की याचिका खारिज कर दी थी। पति ने अदालत को बताया कि पत्नी ने पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने और स्कूल प्रिंसिपल बनने के बाद उसका अपमान करना शुरू कर दिया था। कोविड-19 महामारी के दौरान जब उसकी नौकरी चली गई, तो पत्नी ने उसे बार-बार बेरोजगार कहकर ताना मारा।
अदालत ने पाया कि पत्नी का व्यवहार पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने और प्रिंसिपल बनने के बाद बदल गया था। पत्नी ने पति का अपमान करना शुरू कर दिया और उसे छोटी-छोटी बातों पर गाली देना शुरू कर दिया। अदालत ने माना कि यह मानसिक क्रूरता का मामला है। पत्नी ने अपनी बेटी को भी पति के खिलाफ कर दिया और घर छोड़ दिया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि पत्नी के कृत्य हिंदू विवाह अधिनियम के तहत क्रूरता और परित्याग की श्रेणी में आते हैं, जिसके कारण पति को तलाक की मंजूरी दी गई।