काली प्रसाद पांडे, बिहार के एक ऐसे सांसद थे जिनकी पहचान ‘रॉबिन हुड’ जैसी थी। वे गोपालगंज के रमजीता गांव से निकले और उन्होंने एक ऐसी छवि बनाई कि लोग उन्हें इसी नाम से जानने लगे। 1987 में बनी फिल्म ‘प्रतिघात’ भी उनके जीवन पर आधारित थी। शहाबुद्दीन जैसे बाहुबली भी उन्हें अपना गुरु मानते थे।
काली प्रसाद पांडे का जन्म 28 अक्टूबर 1946 को हुआ था और 22 अगस्त को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनका निधन हो गया। उनके जाने के बाद, उनकी कहानियाँ फिर से लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हैं। कहा जाता है कि उनके दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटा।
1984 में, जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी, उस समय भी काली प्रसाद पांडे ने जेल में रहते हुए शानदार जीत हासिल की। 1980 में उन्होंने निर्दलीय विधायक के रूप में राजनीति की शुरुआत की। 1984 के लोकसभा चुनाव में जेल से चुनाव लड़कर उन्होंने सबको चौंका दिया और जीत हासिल की। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हुए और सबसे अधिक मतों से जीतने वाले लोकसभा सदस्य बने।
शहाबुद्दीन भी उन्हें अपना गुरु मानते थे। काली प्रसाद पांडे ने जंगल पार्टी के अपराधों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जिससे उस इलाके में अपराध कम हुए।
2003 में वे लोक जनशक्ति पार्टी में शामिल हुए और कई महत्वपूर्ण पद संभाले। 2020 में उन्होंने कांग्रेस में वापसी की, लेकिन कुचायकोट से चुनाव हार गए।
काली प्रसाद पांडे पूरे उत्तर बिहार में गरीबों के मसीहा माने जाते थे। 1987 की फिल्म ‘प्रतिघात’ में उनके जीवन से प्रेरित एक किरदार था। उन पर कई आरोप लगे, लेकिन कोई भी साबित नहीं हो सका। उनके काफिले में कई गाड़ियाँ और 50 से अधिक निजी बॉडीगार्ड हमेशा मौजूद रहते थे।