अमेरिकी टैरिफ युद्ध के बीच, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने का आग्रह किया। उन्होंने रूसी व्यवसायों से आग्रह किया कि वे भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर काम करें और भारत के बढ़ते बाजार में प्रवेश करें।
जयशंकर ने कहा कि भारत एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलें विदेशी कंपनियों के लिए नए अवसर पैदा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि रूसी कंपनियां इन अवसरों का लाभ उठा सकती हैं और भारत में निवेश कर सकती हैं।
जयशंकर ने कहा, “भारत को विश्वसनीय स्रोतों से बड़े संसाधनों की आवश्यकता है। भारत का बुनियादी ढांचा भी तेजी से बढ़ रहा है, जो व्यवसायों के लिए अवसर प्रदान करता है। ‘मेक इन इंडिया’ और अन्य पहल ने विदेशी व्यवसायों के लिए नए अवसर पैदा किए हैं।” उन्होंने कहा कि भारत का आधुनिकीकरण और शहरीकरण भी नए अवसर पैदा कर रहे हैं।
जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के बीच एक मजबूत और स्थिर रिश्ता है, लेकिन यह अभी भी पूरी तरह से आर्थिक सहयोग में तब्दील नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को व्यापार को विविध बनाने और संतुलित करने के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए।
जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार विकास को बढ़ावा देने और विकास में तेजी लाने के लिए रूस के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि दोनों देश संयुक्त उद्यमों और निवेश के अन्य रूपों पर विचार कर सकते हैं।
जयशंकर ने कहा, “हम सरकारों के रूप में आर्थिक गतिविधियों के लिए मार्गदर्शन और स्थितियां बनाना चाहते हैं। हमें उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ेगा।” उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच एक मजबूत आर्थिक साझेदारी होनी चाहिए।
जयशंकर ने कहा कि भारत और यूरेशियन आर्थिक संघ (ईईयू) के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि इससे दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
जयशंकर ने कहा कि हमें उम्मीद है कि व्यवसाय आत्मविश्वास से आगे आएंगे। उन्होंने कहा कि सरकारों और व्यवसायों को मिलकर काम करना चाहिए।
जयशंकर का यह बयान तब आया है जब अमेरिका ने भारतीय सामानों पर टैरिफ बढ़ा दिया है। जयशंकर ने कहा कि भारत रूस के साथ व्यापार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।