मुख्य सचिव अलका तिवारी ने सभी उपायुक्तों को सितंबर के पहले पखवाड़े तक राज्य के सभी व्यावसायिक बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि उपायुक्त नीलामी से पहले नई बालू नीति को अच्छी तरह समझ लें ताकि नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे और कोई तकनीकी समस्या न आए। इसके लिए उन्होंने खनन पदाधिकारियों और उपायुक्तों को बुनियादी जानकारी के लिए प्रशिक्षित करने पर जोर दिया। उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उपायुक्त स्पष्टता और तैयारी के साथ नीलामी करा सकें। यह राज्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। नई बालू नीति का उद्देश्य उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर बालू उपलब्ध कराना, बालू के अवैध व्यापार पर पूरी तरह से रोक लगाना और अन्य राज्यों से बालू के आयात को कम करना है। वे बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बालू घाटों की नीलामी पर उपायुक्तों के साथ बातचीत कर रही थीं।
खान सचिव अरवा राजकमल और खान निदेशक राहुल सिन्हा ने कहा कि बालू घाटों की नीलामी में खान विभाग के साथ उपायुक्तों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसलिए, सभी उपायुक्तों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और पूरी स्पष्टता और तैयारी के साथ नीलामी प्रक्रिया को संपन्न करना चाहिए। उन्होंने उपायुक्तों को नीलामी प्रक्रिया का मॉक ड्रिल करने की भी सलाह दी। उन्होंने नीलामी लेने वालों को भी पूरी प्रक्रिया से अवगत कराने को कहा। उन्होंने जरूरत पड़ने पर हेल्पलाइन उपलब्ध कराने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि 15 अक्टूबर के बाद बालू घाटों से खनन पर ग्रीन ट्रिब्यूनल का प्रतिबंध हट जाएगा। इससे पहले बालू घाटों की नीलामी पूरी होने से खनन समय पर शुरू हो जाएगा और राज्य में बालू की कमी नहीं होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार बालू की दरें तय नहीं करेगी, लेकिन प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि बालू का वैध व्यापार हो। उपायुक्तों को नियम का पालन न करने वालों का ठेका रद्द करने का अधिकार होगा।
बालू घाटों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है। पहली श्रेणी में पांच हेक्टेयर से कम क्षेत्र वाले बालू घाट होंगे, जिनका संचालन ग्राम सभा के माध्यम से किया जाएगा। ऐसे 374 बालू घाट हैं। दूसरी श्रेणी में 5 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र वाले बालू घाटों की नीलामी होगी। इसके लिए छोटे और बड़े बालू घाटों को मिलाकर कुल 60 समूह बनाए गए हैं। किसी भी व्यक्ति को एक हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र का बालू घाट नहीं दिया जाएगा और दो से अधिक समूहों का ठेका भी नहीं दिया जाएगा। इससे पहले, बालू घाटों की नीलामी की पूरी प्रक्रिया को पीपीटी के माध्यम से उपायुक्तों के साथ साझा किया गया। खनन से जुड़े पर्यावरण के मुद्दों पर सिया के सदस्य राजीव लोचन बख्शी ने विस्तार से जानकारी दी। जैप आईटी के प्रतिनिधियों ने नीलामी की तकनीकी प्रक्रिया को विस्तार से समझाया ताकि कोई भ्रम न रहे।