कभी दुनिया में ‘ब्लैक मनी’ के ठिकाने के रूप में जाने जाने वाले स्विट्जरलैंड ने अपनी छवि बदलने के लिए कदम उठाए हैं। पारदर्शिता और काले धन पर लगाम लगाने के उद्देश्य से स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन के नेतृत्व वाले इंटरनेशनल एंटी-करप्शन कोऑर्डिनेशन सेंटर (IACCC) में शामिल होने पर विचार कर रहा है।
इस टास्क फोर्स का मुख्य लक्ष्य भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करना और चुराए गए धन की वसूली करना है। स्विट्जरलैंड पर, जो दुनिया का सबसे बड़ा अपतटीय धन प्रबंधक है, लंबे समय से भ्रष्ट राजनेताओं, व्यापारियों और अपराधियों के अवैध धन को सुरक्षित रखने का आरोप लगता रहा है। कई भारतीयों का काला धन भी स्विट्जरलैंड में जमा है।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने हाल ही में स्विस सरकार से मुलाकात की और स्विट्जरलैंड को IACCC में शामिल होने का प्रस्ताव दिया। स्विट्जरलैंड फिलहाल केवल पर्यवेक्षक सदस्य है, लेकिन उसे पूर्ण सदस्य बनने का निमंत्रण मिला है।
Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, स्विट्जरलैंड ने हाल के वर्षों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं, जैसे कि वास्तविक स्वामित्व नियमों को सख्त करना और अवैध धन से जुड़े मामलों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना।
IACCC की स्थापना 2017 में हुई थी और इसका संचालन ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी (NCA) द्वारा किया जाता है। इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड जैसे देश शामिल हैं। टास्क फोर्स ने अब तक 1.8 बिलियन पाउंड की संदिग्ध चोरी की संपत्ति की पहचान की है और लगभग 641 मिलियन पाउंड की संपत्ति को जब्त किया है।
भारत भी लंबे समय से विदेशों में जमा काले धन और भगोड़ों द्वारा छिपाई गई संपत्तियों को वापस लाने का प्रयास कर रहा है। स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का धन 2024 में 3.5 बिलियन स्विस फ़्रैंक (लगभग 37,600 करोड़ रुपये) से अधिक हो गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना अधिक है।
यह 2021 के बाद सबसे अधिक है, जब स्विस बैंकों में भारतीयों का धन 3.83 बिलियन स्विस फ्रैंक तक पहुंच गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर स्विट्जरलैंड जैसे वित्तीय केंद्र इस तरह के टास्क फोर्स में शामिल होते हैं, तो भारत सहित कई देशों को विदेशों में छिपे हुए अवैध धन को वापस लाने में मदद मिलेगी।
भारत सरकार का रुख काले धन के खिलाफ कड़ा रहा है। सरकार ने हाल के वर्षों में इस पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें 2014 में ब्लैक मनी एसआईटी का गठन, 2015 में ब्लैक मनी एक्ट, पनामा पेपर्स और पैराडाइज पेपर्स पर कार्रवाई, 2018 में भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम और स्विट्जरलैंड सहित 100 से अधिक देशों के साथ स्वचालित सूचना साझाकरण शामिल हैं।