गाजा की सड़कों पर भूख से बिलखते बच्चों की तस्वीरें किसी का भी दिल दहला सकती हैं। 21वीं सदी में, जब हम चांद पर बसने की बातें कर रहे हैं, वहीं गाजा के लोग रोटी के लिए तरस रहे हैं। क्या यह युद्ध का एक हिस्सा है, या यह एक सोची-समझी रणनीति है?
गाजा में भुखमरी से अब तक 263 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 110 बच्चे भी शामिल हैं। क्या इजराइल गाजा को जानबूझकर भूखा मार रहा है? क्या यह नेतन्याहू की राजनीतिक चाल है, या कुछ और? और सबसे बड़ा सवाल – दुनिया के 57 मुस्लिम देश चुप क्यों हैं?
गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अक्टूबर 2023 से अब तक भुखमरी से 263 मौतें हुई हैं, जिनमें 110 बच्चे भी शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के अनुसार, गाजा में अकाल जैसे हालात हैं। 21 लाख की आबादी में से 7 लाख लोगों को कई दिनों तक भोजन नहीं मिल रहा है। 33% लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने आरोप लगाया है कि इजराइल ने जानबूझकर भोजन, पानी और दवाओं की आपूर्ति रोकी हुई है, जो अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
नेतन्याहू का एजेंडा: राजनीति या रणनीति?
कार्नेगी एंडोमेंट के विश्लेषक डैनियल लेवी के अनुसार, नेतन्याहू अपनी सत्ता बचाने के लिए युद्ध का उपयोग कर रहे हैं। नेतन्याहू भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं और चुनाव टालने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके लिए वे ‘सुरक्षा’ का सहारा लेते हैं।
अरब सेंटर डीसी की लैला अल-हद्दाद का कहना है कि गाजा की आबादी का ढांचा बदलना और लोगों को पलायन के लिए मजबूर करना भी नेतन्याहू का एक लक्ष्य है। इजरायली रक्षा मंत्री योआव गैलांट ने अक्टूबर 2023 में कहा था, ‘No electricity, no food, no fuel, no water – we are fighting human animals.’
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में, दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल पर नरसंहार का आरोप लगाया है। न्यायाधीश जोआन डोनोह्यू ने कहा कि भोजन और पानी को रोकना नरसंहार समझौते का उल्लंघन हो सकता है।
जेनेवा कन्वेंशन के तहत, कब्जे वाली आबादी को भोजन और दवा देना अनिवार्य है। संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत फ्रांसेस्का अल्बानीज़ ने कहा, ‘Starvation as warfare is a war crime under Rome Statute.’
मुस्लिम देशों की चुप्पी का कारण
मध्य पूर्व संस्थान के एक विशेषज्ञ के अनुसार, अरब देश अपने आर्थिक हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं। सऊदी अरब इजराइल के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा है और विजन 2030 पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
* यूएई इजराइल के साथ सालाना 2 बिलियन डॉलर का व्यापार करता है।
* मिस्र अमेरिकी सहायता पर निर्भर है, इसलिए चुप है।
* जॉर्डन पानी और गैस सौदों के कारण मजबूर है।
* ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन की डॉ. तमारा विटेस का कहना है कि फिलिस्तीनी मुद्दा अब अरब सरकारों के लिए प्राथमिकता नहीं है।
* तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने नेतन्याहू पर गाजा में नरसंहार का आरोप लगाया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
* ईरान हमास को प्रॉक्सी समूहों के माध्यम से समर्थन दे रहा है, लेकिन सीधे टकराव से बच रहा है।
भारत की स्थिति
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में मतदान से परहेज किया, क्योंकि उसके दोनों पक्षों के साथ संबंध हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “India supports two-state solution and is concerned about civilian casualties.”
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इजराइल और अरब देशों के साथ संबंधों को संतुलित कर रहा है। भारत के लिए, इजराइल के साथ रक्षा व्यापार और अरब देशों से तेल का आयात एक चुनौती है। इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के अनुसार, भुखमरी से कट्टरता बढ़ सकती है, और क्षेत्रीय अस्थिरता का खतरा है। यदि कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो अंतर्राष्ट्रीय कानून कमजोर हो जाएगा, और अन्य देश भी ऐसी नीति अपना सकते हैं।
यह सवाल सिर्फ गाजा का नहीं, बल्कि मानवता का है
गाजा में भूख अब एक हथियार बन गई है। ऐसा लगता है कि नेतन्याहू का लक्ष्य केवल युद्ध जीतना नहीं है, बल्कि गाजा के लोगों को अधीन करना है। गाजा में 263 लोगों की भुखमरी से मौत ने दुनिया को झकझोर दिया है। नेतन्याहू की सख्त रणनीति और मुस्लिम देशों की चुप्पी ने इस संकट को और गहरा कर दिया है। आज सवाल सिर्फ गाजा का नहीं, बल्कि मानवता के भविष्य का है। क्या हम राजनीतिक हितों के लिए मानवीय संवेदनाओं को भूल रहे हैं? ऐसे मामलों में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निष्क्रियता बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है।