जून में ईरान और इजराइल के बीच 12 दिन तक चले संघर्ष के बाद, यह डर है कि इजराइल और अमेरिका जल्द ही ईरान पर फिर से हमला कर सकते हैं. अमेरिका ईरान पर लगातार परमाणु कार्यक्रम को रोकने का दबाव बना रहा है, लेकिन ईरान ने साफ कर दिया है कि वह यूरेनियम संवर्धन जारी रखेगा. इस पर अमेरिका और इजराइल दोनों ही ईरान पर फिर से हमला करने की धमकी दे रहे हैं, लेकिन ईरान के सर्वोच्च नेता के करीबी ने अमेरिका की उस मजबूरी का खुलासा किया है जो उसे ईरान पर फिर से हमला करने से रोकती है.
अली खामेनेई के कार्यालय के एक वरिष्ठ धर्मगुरु ने शुक्रवार को कहा कि वाशिंगटन ईरान के खिलाफ एक और सैन्य संघर्ष शुरू करने की स्थिति में नहीं है और बढ़ती ऊर्जा कीमतों के खतरे से जूझ रहा है. अली सैदी ने कहा, “आज फिर से युद्ध शुरू होने की चर्चा है, लेकिन ऐसा लगता है कि दुश्मन के पास दोबारा हमला करने की क्षमता नहीं है और वह ईरान की ताकत से डरता है. अमेरिकी $150 प्रति बैरल तेल की कीमत की संभावना से भी डरते हैं और ऐसी स्थिति को बर्दाश्त नहीं कर सकते.”
उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल कोई खतरा नहीं है, लेकिन सशस्त्र बलों को सतर्क रहना चाहिए और अपने संचार को मजबूत करना चाहिए. ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली लारीजानी ने सुझाव दिया कि अमेरिका के साथ बातचीत हो सकती है, बशर्ते यह वास्तविक समाधान की ओर ले जाए.
अगर ईरान के खिलाफ व्यापक युद्ध छिड़ता है, तो इससे दुनिया भर में तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं. 12 दिन के संघर्ष के दौरान, ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी दी थी, जिससे दुनिया का लगभग 20% तेल गुजरता है. अगर ईरान इसे बंद कर देता है, तो तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं. ईरान खुद भी एक प्रमुख तेल और गैस उत्पादक है.
लारीजानी ने लेबनान के अल-मायादीन से कहा, “अगर अमेरिका को लगता है कि वह युद्ध से ईरान को हरा नहीं सकता और बातचीत करना चाहता है, तो हम सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे. लेकिन अगर वे अगले युद्ध की तैयारी के लिए बातचीत करते हैं, तो हमें कोई फायदा नहीं होगा.”
फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और जर्मनी ने ईरान को चेतावनी दी है कि अगर तेहरान अगस्त के अंत तक परमाणु वार्ता फिर से शुरू नहीं करता है और ठोस नतीजे नहीं देता है, तो वे संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू कर देंगे. ट्रंप प्रशासन के दौरान पिछली वार्ता तब विफल हो गई जब इजराइल ने 13 जून को सैन्य हमले शुरू कर दिए. संघर्ष के नौवें दिन, अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बमबारी की, जिसके बारे में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि इससे परमाणु कार्यक्रम खत्म हो गए हैं.
अब परमाणु वार्ता फिर से शुरू नहीं होने पर, फिर से संघर्ष की चर्चा हो रही है, जिसकी इजराइल-अमेरिका के साथ ईरान भी तैयारी कर रहा है. हालांकि ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है और उसका परमाणु बम बनाने का कोई इरादा नहीं है.