बिहार के भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल के रंगरा गांव में सेना के जवान अंकित का पार्थिव शरीर पहुंचने पर शोक की लहर दौड़ गई। देश जहां आजादी का जश्न मना रहा था, वहीं गांव में मातम पसरा था। लोगों ने शहीद की शहादत पर गर्व किया।
अंकित कुमार का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा हुआ उनके गांव पहुंचा। अंतिम दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी। नवगछिया अनुमंडल भारत माता के नारों से गूंज उठा। अंतिम संस्कार से पहले मंत्री संतोष सिंह ने बिहार सरकार की ओर से परिजनों को 21 लाख रुपये का चेक सौंपा और परिवार की मदद का आश्वासन दिया।
बाढ़ के कारण नवगछिया के कई गांव प्रभावित हैं, जिनमें शहीद अंकित का गांव रंगरा का चापर भी शामिल है। बाढ़ के बीच ही शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। अंकित यादव की वीरता और साहस को याद किया गया। अंकित कुमार जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में घुसपैठियों से लड़ते हुए शहीद हो गए।
भारतीय सेना ने पाकिस्तान की बैट टीम के हमले को विफल कर दिया। जवाबी कार्रवाई में बैट टीम को भागना पड़ा। इस दौरान, सेना के जवान अंकित यादव शहीद हो गए। भारतीय सेना ने घुसपैठियों को खदेड़ दिया।
परिवार में शोक की लहर थी, लेकिन लोगों को अंकित यादव की शहादत पर गर्व था। अंकित यादव 2009 में बिहार रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। उनके तीनों भाई भी सेना में हैं। अंकित अपने पीछे दो बेटे, पत्नी और माता-पिता को छोड़ गए हैं।
अंकित एक महीने पहले गांव आए थे और ड्यूटी पर लौटने से पहले कुछ दिन रुके थे। उन्होंने अपनी पत्नी का वोटर कार्ड बनवाने के लिए वार्ड सदस्य को फोन किया था। शहीद अंकित का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया। उनके 4 साल के बेटे ने मुखाग्नि दी।