अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दोहरी नीति जगजाहिर है। एक तरफ, वह भारत पर रूस से तेल खरीदने के खिलाफ दबाव डालते हैं, जबकि उनका अपना देश रूस के साथ व्यापार करता है। भारत पर टैरिफ बढ़ाने के लिए, ट्रंप रूसी तेल को दोषी ठहराते हैं, लेकिन तुर्की और चीन, जो रूस से सबसे अधिक तेल खरीदते हैं, पर टैरिफ कम करते हैं। ट्रंप का दोहरा रवैया सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि युद्ध के मामले में भी दिखता है।
डोनाल्ड ट्रंप युद्धरत देशों के बीच शांति स्थापित करने का दावा करते हैं। ऐसा करके, वह खुद को नोबेल शांति पुरस्कार का दावेदार बताते हैं। लेकिन इसी दौरान, वह रूस को युद्ध की धमकी भी देते हैं। उनकी जुबान से यह बात निकलती ही है, साथ ही उनकी ओर से भारत को परमाणु युद्ध की धमकी भी दी जाती है।
यह धमकी पाकिस्तान के सेना प्रमुख मुनीर द्वारा दी जाती है। ट्रंप के बुलावे पर, वह अमेरिका जाते हैं और वहां से युद्ध की बात करते हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद, अमेरिका ने जिस तरह से पाकिस्तान को समर्थन दिया है, उससे ऐसा नहीं लगता कि ट्रंप शांति के पक्षधर हैं। जिस देश का नेता आतंकवादियों को पनाह देने वाले देश को संरक्षण देता है, उससे आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वह दुनिया में शांति लाएगा?
ट्रंप की युद्ध की धमकी
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शुक्रवार को होने वाली मुलाकात से पहले, ट्रंप ने युद्ध की धमकी दी। उन्होंने कहा कि अलास्का में होने वाली बैठक में, यदि पुतिन यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने से इनकार करते हैं, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। ट्रंप ने यह भी कहा कि रूसी राष्ट्रपति के साथ दूसरी बैठक की अच्छी संभावना है, जिसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की भी शामिल हो सकते हैं।
भारत के शत्रु को बार-बार बुलाना
ट्रंप भारत के शत्रु, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल मुनीर को बार-बार अपने देश बुला रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद, मुनीर अब तक दो बार अमेरिका जा चुके हैं। हाल ही में, जब मुनीर अमेरिका गए, तो उन्होंने भारत को परमाणु युद्ध की धमकी दी। अमेरिका से मिल रहे समर्थन के बाद, पाकिस्तान के हौसले बुलंद हो गए हैं। मुनीर के बाद, उनके पीएम शहबाज शरीफ ने भी धमकी दी।
शहबाज शरीफ ने इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम में कहा कि भारत, पाकिस्तान से पानी की एक बूंद भी नहीं छीन सकता। आपने हमारे पानी को रोकने की धमकी दी थी। अगर आप ऐसा करने की कोशिश करेंगे, तो पाकिस्तान आपको ऐसा सबक सिखाएगा जिसे आप कभी नहीं भूलेंगे।
ट्रंप की नोबेल पुरस्कार की लालसा
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में ऐसा लगता है कि वह नोबेल पुरस्कार पाने के लिए उत्सुक हैं। जनवरी, 2025 में पदभार संभालने के बाद से ही, उन्हें इस पुरस्कार की लालसा रही है। वह दावा करते हैं कि उन्होंने ईरान-इजराइल, थाईलैंड-कंबोडिया और अजरबैजान-आर्मेनिया के बीच शांति समझौते कराए हैं। इतना ही नहीं, ट्रंप यहां तक दावा करते हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम भी कराया। हालाँकि, पाकिस्तान ने ट्रंप के दावों को स्वीकार किया है, लेकिन भारत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत का कहना है कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ से शांति की भीख मांगी थी। स्वयं प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में संसद में एक बयान दिया है। पीएम मोदी ने लोकसभा में बताया कि संघर्ष विराम कैसे हुआ।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने फोन करके गुहार लगाई थी। डीजीएमओ ने कहा, बस करो, बहुत मार लिया। पाकिस्तान को घुटनों पर आने के लिए मजबूर किया। पीएम ने कहा कि किसी भी देश ने भारत को कार्रवाई करने से नहीं रोका। भारत ने अभी तक ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित नहीं किया है। लेकिन इज़राइल, अज़रबैजान, आर्मेनिया, कंबोडिया और पाकिस्तान चाहते हैं कि ट्रंप को नोबेल पुरस्कार मिले।