मध्य प्रदेश के एक प्रशिक्षण केंद्र में मुक्कों की आवाज़ गूंजती है। पसीना टपकता है, मुट्ठियाँ तनती हैं, और हर हरकत में दृढ़ संकल्प दिखता है। यहाँ सोहेल खान खड़े हैं, जो ‘एमपी के गोल्डन बॉय’ के नाम से जाने जाते हैं।
2025 में, 22 साल की उम्र में ही सोहेल ने बुल्गारिया में सीनियर कुडो वर्ल्ड कप में रजत पदक जीता, जो इस स्तर पर पोडियम तक पहुंचने वाले पहले भारतीय बने। अब, नवंबर में 4वीं कुडो एशियाई चैम्पियनशिप के लिए तैयार हैं, जहाँ उनका लक्ष्य शीर्ष पर पहुँचने का है।
सोहेल ने कराटे, ताइक्वांडो, वुशु और किकबॉक्सिंग में भी हाथ आज़माया था, और सभी में राष्ट्रीय पदक जीते। हालाँकि, उन्हें महसूस हुआ कि उन्हें कुडो में एक नया जुनून और उद्देश्य मिला, जो उन्हें एक समग्र मार्शल आर्ट अनुभव प्रदान करता था। उनकी प्रेरणा उनकी माँ थीं, जिनकी कुर्बानियों ने उन्हें कभी हार नहीं मानने दी।
सोहेल की यात्रा आसान नहीं थी। प्रशिक्षण के लिए अक्सर बलिदान देने पड़े, जैसे भोजन, आराम, और सामाजिक जीवन। लेकिन इन बलिदानों से परिणाम मिले:
* 2017 – जूनियर कुडो वर्ल्ड चैंपियन, भारत (स्वर्ण)
* 2023 – सीनियर कुडो वर्ल्ड चैंपियनशिप, टोक्यो – क्वार्टर फाइनलिस्ट
* 2024 – यूरो-एशियाई कप, आर्मेनिया (कांस्य)
* 2025 – सीनियर कुडो वर्ल्ड कप, बुल्गारिया (रजत)
2025 में उन्होंने पाकिस्तान, बुल्गारिया और लिथुआनिया को हराया, लेकिन फाइनल में फ्रांस से हार गए।
सोहेल का मानना है कि कुडो सिर्फ एक खेल नहीं है, बल्कि मार्शल आर्ट का एक मिश्रण है। उन्होंने बताया कि सफलता के लिए तकनीक, शक्ति, मानसिकता और समय पर ध्यान देना आवश्यक है। उनका मानना है कि कड़ी मेहनत के अलावा, बलिदान और दबाव में शांत रहने की क्षमता एक चैंपियन बनाती है।
एशियाई चैम्पियनशिप के लिए प्रशिक्षण में वापस आने पर, सोहेल का लक्ष्य भारतीय कुडो को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना है। उन्होंने डॉ. मोहम्मद एजाज खान को अपनी यात्रा में मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिया, जिन्होंने उन्हें अनुशासन और विश्वास सिखाया।
सोहेल खान का मानना है कि साहस, बलिदान और कड़ी मेहनत से मध्य प्रदेश का एक लड़का भी विश्व मंच पर खड़ा हो सकता है।