गरियाबंद जिले के देवभोग क्षेत्र के सुपेबेड़ा गांव, जो किडनी रोगियों के लिए जाना जाता है, में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल द्वारा एक साल पहले शुरू की गई एंबुलेंस सेवा को अब वापस ले लिया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि एंबुलेंस सेवा को रायपुर की एक फर्म से लिया गया था, लेकिन इसके लिए कोई उचित अनुबंध नहीं किया गया था। न तो बजट निर्धारित था और न ही धन की व्यवस्था की गई थी। एंबुलेंस को प्रति माह 2000 किलोमीटर चलाने के लिए 1.5 लाख रुपये का भुगतान किया जाना था। अतिरिक्त किलोमीटर चलने पर बिल की राशि भी बढ़ गई, जिससे 14 लाख रुपये की लागत वाली एंबुलेंस का बिल 15 लाख रुपये तक पहुंच गया। इस बिल का भुगतान बिना किसी उचित प्रक्रिया के केंद्रीय एनएचएम फंड से 10 लाख रुपये कर दिया गया था। सीएमएचओ के बदलाव के बाद, एंबुलेंस से संबंधित फाइलों की जांच करने पर इसे वापस करने का निर्णय लिया गया। एंबुलेंस पर हुए खर्च को लेकर अब कई सवाल खड़े हो गए हैं, और पूरे मामले की जांच की मांग की जा रही है। सुपेबेड़ा के मरीजों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है, और कहा है कि इस तरह के खर्चों के बजाय, उन्हें पहले की तरह ब्लड टेस्ट और किडनी की दवाएं मुफ्त में मिलनी चाहिए, क्योंकि अब उन्हें ये सब खरीदना पड़ रहा है।
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