इजराइल के प्रधानमंत्री ने हमास के खिलाफ अपनी रणनीति को तेज कर दिया है। उन्होंने गाजा पर पूर्ण नियंत्रण करने की योजना बनाई है, जिसे इजराइल की कैबिनेट से भी मंजूरी मिल गई है। हालांकि, इस कदम की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है, जिसमें कहा जा रहा है कि इससे गाजा में मानवीय स्थिति और खराब हो जाएगी। इजराइली सेना पहले से ही गाजा के अधिकांश हिस्से पर काबिज है। अब, गाजा में बचे हुए विस्थापित फिलिस्तीनी हैं, और इजराइल का मानना है कि हमास का अंतिम गढ़ अल-मवासी यहीं स्थित है। नेतन्याहू ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की थी।
अल-मवासी एक रेतीली पट्टी है जो भूमध्यसागरीय तट पर स्थित है, जो राफा के पास है। ऐसा माना जाता है कि हमास के लड़ाके यहां भूमिगत बंकरों में छिपे हुए हैं। अल-मवासी एक घनी आबादी वाला क्षेत्र है, जिस पर इजराइल अभी तक पूरी तरह से नियंत्रण नहीं कर पाया है। कुछ लोगों का कहना है कि हमास के लड़ाके यहां अपेक्षाकृत सुरक्षित महसूस करते हैं, जबकि इजराइल यहां हवाई हमले करता रहा है।
अन्य क्षेत्रों से लोगों को निकालकर अल-मवासी में शरण लेने के लिए कहा गया है, जिसके परिणामस्वरूप यहां बड़े अस्थायी शिविर बन गए हैं।
इजराइल के भीतर भी नेतन्याहू की योजना का विरोध हो रहा है। तेल अवीव में हुए एक प्रदर्शन में हजारों लोगों ने बंधकों की रिहाई और युद्ध विराम की मांग की। विरोधियों का तर्क है कि यह योजना गाजा में बंधकों और इजराइली सैनिकों दोनों के लिए जोखिम पैदा कर सकती है।