गाजा में अल-शिफा अस्पताल के बाहर इजराइल द्वारा किए गए एक लक्षित हमले में कम से कम पांच अल जज़ीरा पत्रकारों की मौत हो गई। इजराइल-गाजा संघर्ष की शुरुआत के बाद से मीडियाकर्मियों पर हुए सबसे घातक हमलों में से एक माने जाने वाले इस हमले में अल जज़ीरा के दो पत्रकार अनास अल-शरीफ और मोहम्मद करेकेह, साथ ही कैमरा ऑपरेटर इब्राहिम ज़ाहिर और मोहम्मद नौफल, और मोमेन अलीवा की जान चली गई।
हमले के तुरंत बाद, इजरायली सेना ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में अल-शरीफ की मौत की पुष्टि की। पोस्ट में दावा किया गया कि अल जज़ीरा के पत्रकार अनास अल-शरीफ हमास के एक आतंकवादी सेल के प्रमुख थे और उन्होंने इजरायली नागरिकों और IDF सैनिकों पर रॉकेट हमले किए थे। इजरायली सेना ने लिखा, “हमले में हमास के आतंकवादी अनास अल-शरीफ मारे गए, जिसने अल जज़ीरा पत्रकार के रूप में काम किया। अल-शरीफ हमास के एक आतंकवादी सेल का प्रमुख था और उसने इजरायली नागरिकों और IDF सैनिकों पर रॉकेट हमले किए थे। गाजा से मिली खुफिया जानकारी और दस्तावेजों, जिनमें रोस्टर, आतंकवादी प्रशिक्षण सूची और वेतन रिकॉर्ड शामिल हैं, से पता चलता है कि वह अल जज़ीरा में एकीकृत हमास का एक सदस्य था।”
इजरायली सेना ने इस बात की पुष्टि की है कि अनास अल-शरीफ हमास का सदस्य था और अल जज़ीरा में काम करता था। सेना ने कहा कि खुफिया जानकारी और गाजा से मिले दस्तावेजों से यह साबित होता है, जिनमें कर्मचारियों की सूची, आतंकवादी प्रशिक्षण सूची और वेतन रिकॉर्ड शामिल हैं। अल जज़ीरा मीडिया नेटवर्क ने एक बयान जारी कर इन हत्याओं की कड़ी निंदा की और इन्हें “प्रेस की स्वतंत्रता पर एक और स्पष्ट और सुनियोजित हमला” बताया।
नेटवर्क ने कहा, “यह हमला गाजा पर इजराइल के लगातार हमलों के बीच हुआ है, जिसमें नागरिकों की लगातार हत्या, जबरन भुखमरी और पूरे समुदायों का विनाश देखा गया है।” न्यूयॉर्क स्थित कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) ने पुष्टि की है कि 7 अक्टूबर, 2023 से अब तक कम से कम 186 पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है।
यह हमला इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा विदेशी मीडिया को यह बताने के कुछ घंटे बाद हुआ कि उन्होंने सेना को गाजा पट्टी में अधिक विदेशी पत्रकारों को जाने की अनुमति देने का निर्देश दिया है।