मालेगांव बम धमाका मामले में कोर्ट के फैसले और उसके बाद राज्य सरकार की प्रतिक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। 7/11 मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में जहां सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, वहीं मालेगांव मामले में चुप्पी साध ली। इसी बात पर विपक्ष ने सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है।
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार 2008 मालेगांव बम धमाके के आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करेगी। इस धमाके में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कर्नल पुरोहित समेत कई आरोपी शामिल थे। धमाके में 6 लोगों की जान गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
दूसरी तरफ, मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट मामले में, बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा बरी किए गए आरोपियों के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक भी लगा दी है। इस मामले में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और 800 से ज्यादा घायल हुए थे।
विपक्ष का कहना है कि सरकार बम धमाकों जैसे गंभीर मामलों में अलग-अलग रवैया अपना रही है, जिससे न्याय की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। सरकार ने मालेगांव ब्लास्ट केस में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जबकि सीरियल ब्लास्ट मामले में तुरंत सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा था। कोर्ट ने कहा कि सीरियल ब्लास्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला मिसाल के तौर पर नहीं माना जाएगा।