रूस से तेल खरीदने पर भारत के खिलाफ अमेरिका ने टैरिफ और अन्य प्रतिबंधों की धमकी दी है। इसका जवाब देते हुए, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने हितों के लिए रूस के साथ सहयोग जारी रखेगा। इस घटनाक्रम के बीच, भारत में पूर्व अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी का एक पुराना बयान सामने आया है, जो वर्तमान अमेरिकी नीति के विपरीत है।
वीडियो में, गार्सेटी स्वीकार करते हैं कि अमेरिका ने ही भारत को वैश्विक कीमतों को स्थिर रखने के लिए रूस से तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था। गार्सेटी ने 2024 में एक सम्मेलन में कहा था कि यह अमेरिकी नीति का हिस्सा था।
गार्सेटी ने कहा, “भारत ने रूसी तेल इसलिए खरीदा क्योंकि हम चाहते थे कि कोई एक निश्चित कीमत पर तेल खरीदे। यह कोई उल्लंघन नहीं था, बल्कि नीति का हिस्सा था, क्योंकि हम तेल की कीमतों में वृद्धि नहीं चाहते थे और भारत ने इसमें मदद की।”
अब सवाल यह है कि जब यूक्रेन युद्ध की शुरुआत में भारत का रूस से तेल खरीदना अमेरिकी नीति का हिस्सा था, तो अब अमेरिका भारत पर यूक्रेन युद्ध में रूस की मदद करने का आरोप क्यों लगा रहा है?
अमेरिका के दबाव के बावजूद, भारत ने रूस के साथ अपने सहयोग को कम करने से इनकार कर दिया है और अमेरिकी धमकियों का कड़ा जवाब दिया है।