डॉ. केए पॉल, जिन्होंने बैटिंग गेम्स ऐप्स के खिलाफ याचिका दायर की थी, ने सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई है। उन्हें बैटिंग ऐप्स के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने और अभियान चलाने के कारण जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। इसके बाद, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया।
सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर केंद्र, राज्य सरकारों और विभिन्न बैटिंग कंपनियों को नोटिस जारी किया है। डॉ. पॉल ने सुप्रीम कोर्ट से केंद्रीय गृह मंत्रालय को निर्देश देने का अनुरोध किया है कि वह याचिकाकर्ता के तत्काल खतरे का आकलन करे और सुरक्षा प्रदान करे। उन्होंने दिल्ली के पुलिस आयुक्त से भी 3 अगस्त, 2025 की घटना पर ध्यान देने और याचिकाकर्ता के निवास स्थान पर सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
डॉ. पॉल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से इस मामले की तत्काल जांच करने और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने की अपील की। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद से उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। कुछ बदमाशों ने उन्हें दिल्ली में अगवा करने की कोशिश की, जिससे उनके और उनके परिवार में दहशत फैल गई।
डॉ. पॉल ने दावा किया कि बैटिंग ऐप्स भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन करते हैं, क्योंकि वे युवाओं को अवैध रूप से फंसाते हैं। उन्होंने तेलंगाना में 1023 आत्महत्याओं का हवाला दिया, जो कथित तौर पर बैटिंग ऐप्स के कारण हुईं। उनका कहना है कि 30 करोड़ भारतीय इन ऐप्स के जाल में फंस चुके हैं और ये मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला और अन्य अवैध वित्तीय गतिविधियों का माध्यम बन रहे हैं। डॉ. पॉल ने बॉलीवुड, टॉलीवुड और क्रिकेट हस्तियों पर बैटिंग ऐप्स को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है, उनका कहना है कि ये प्रचार युवाओं को गलत दिशा में ले जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को सभी राज्यों, RBI, ED, TRAI, और गूगल, ऐपल, ड्रीम11, MPL, A23 जैसी कंपनियों को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने इस मामले को जनहित का महत्वपूर्ण मुद्दा माना और 18 अगस्त को प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई निर्धारित की। मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्या कांत और जॉयमाला बागची की बेंच कर रही थी।