झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) एक प्रमुख राजनीतिक दल है जिसने झारखंड में अपनी गहरी जड़ें जमा ली हैं और राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। 1980 में हुए विधानसभा चुनावों में, पार्टी ने संथाल परगना क्षेत्र में 7 सीटें जीतकर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। साइमन मरांडी, सूरज मंडल, और अन्य जैसे नेताओं ने पार्टी को मजबूत किया। 1985 के चुनावों में भी पार्टी ने अपनी सफलता दोहराई।
1990 का विधानसभा चुनाव JMM के लिए एक निर्णायक मोड़ था, जब पार्टी ने संथाल परगना में अपनी पकड़ मजबूत की। वर्तमान में, JMM का प्रभाव पूरे झारखंड में है, लेकिन संथाल और कोल्हान इसके गढ़ माने जाते हैं। 2019 के चुनावों में, पार्टी ने संथाल परगना में शानदार प्रदर्शन किया, जबकि भाजपा को कम सीटें मिलीं। कोल्हान में, JMM और कांग्रेस गठबंधन ने भाजपा का सफाया कर दिया।
2024 के विधानसभा चुनावों में, हेमंत सोरेन के नेतृत्व में JMM ने 34 सीटों पर जीत हासिल की, जो एक बड़ी उपलब्धि थी। शिबू सोरेन, जिन्हें ‘दिशोम गुरु’ के नाम से जाना जाता है, पार्टी के संस्थापक संरक्षक हैं। उनका झारखंड की राजनीति में गहरा प्रभाव है।
शिबू सोरेन ने टुंडी सीट से अपनी पहचान बनाई, और ‘दिशोम गुरु’ की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने आदिवासियों को संगठित करने के लिए ‘धन कटनी’ आंदोलन चलाया। 1977 में हार के बाद, उन्होंने संथाल को अपना केंद्र बनाया और 1980 में दुमका से लोकसभा चुनाव जीता। शिबू सोरेन राज्यसभा के सदस्य हैं। झारखंड की राजनीति में संथाल परगना और कोल्हान का महत्वपूर्ण स्थान है, और शिबू सोरेन को संथालियों द्वारा सम्मान दिया जाता है।