आज से छत्तीसगढ़ के नायब तहसीलदार 17 मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। कल लगभग 500 से ज्यादा तहसीलदार और नायब तहसीलदार तूता धरना स्थल पर प्रदर्शन किया। तहसीलदार संघ का कहना है कि जब तक सभी जरूरी संसाधन नहीं मिलेंगे, वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे।
मुख्य मांगें हैं: प्रत्येक तहसील में पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति, जिसमें कंप्यूटर ऑपरेटर, चपरासी, पटवारी, राजस्व निरीक्षक आदि शामिल हैं। डिप्टी कलेक्टर के पद पर प्रमोशन में पारदर्शिता, 50:50 का अनुपात बहाल किया जाए। नायब तहसीलदार को राजपत्रित अधिकारी का दर्जा दिया जाए। तहसीलदारों के वेतनमान में सुधार हो। सभी तहसीलों को सरकारी वाहन और ड्राइवर मिलें। निलंबन मामलों में 15 दिन के अंदर जांच पूरी करके बहाली हो। न्यायालय से जुड़े मामलों को जन शिकायतों में शामिल न किया जाए। अदालती आदेशों पर FIR दर्ज न हो, जज प्रोटेक्शन एक्ट 1985 का पालन हो। प्रोटोकॉल ड्यूटी से अलग न्यायालयीन कार्यों के लिए व्यवस्था हो। आउटसोर्सिंग के जरिए स्टाफ भर्ती का अधिकार तहसीलदार को मिले। स्वामित्व योजना, भू-अभिलेख और ई-कोर्ट जैसे तकनीकी कामों के लिए प्रशिक्षित ऑपरेटरों की नियुक्ति हो। SLR और ASLR की फिर से नियुक्ति हो। सरकारी मोबाइल नंबर दिए जाएं, जिससे निजी नंबरों की गोपनीयता बनी रहे। हर तहसील में सुरक्षा गार्ड और फील्ड के लिए वाहन उपलब्ध कराए जाएं। सड़क दुर्घटना में तत्काल मुआवजे के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश बनें। संघ को सरकार से मान्यता मिले, ताकि बातचीत और समस्याओं के समाधान में मदद मिल सके। राजस्व न्यायालयों में सुधार के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए।