झारखंड हाई कोर्ट ने कंपोजिट यूजर शुल्क मामले में याचिकाकर्ताओं को अस्थायी राहत दी है, जिसमें 100 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की पीठ ने राज्य सरकार के जवाबों पर विचार किया और अंतरिम राहत देने का फैसला किया। इस मामले में अगली सुनवाई 6 अगस्त को निर्धारित की गई है। राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने किया, जिन्होंने कहा कि इस समय शुल्क एकत्र नहीं किया जाएगा। जिम्मस पोर्टल पर शुल्क दिखने के बावजूद, याचिकाकर्ताओं को परमिट प्राप्त करने के लिए इसका भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने महाधिवक्ता के बयान को रिकॉर्ड किया। याचिकाकर्ताओं के वकील, अधिवक्ता सुमित गाडोदिया और इंद्रजीत सिन्हा ने तर्क दिया कि राज्य सरकार खनन परमिट के लिए ₹1200 का कंपोजिट यूजर शुल्क लगा रही है, जिसे झारखंड माइंस एंड मिनरल्स पोर्टल (जिम्मस पोर्टल) पर जोड़ा जा रहा है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह अवैध है क्योंकि इसमें कोई वैध अधिसूचना नहीं है और यह सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। हाई कोर्ट ने पहले सरकार को सुनवाई पूरी होने तक याचिकाकर्ताओं पर दबाव न डालने का निर्देश दिया था, जिसे अप्रैल 2025 में दोहराया गया, लेकिन खनन विभाग ने 24 जून 2025 को पोर्टल पर शुल्क प्रदर्शित करने वाला एक नोटिस जारी किया। अदालत ने कहा कि यदि निर्णय प्रतिवादियों के पक्ष में होता है, तो शुल्क एकत्र किया जाएगा।
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