झारखंड के हजारीबाग में चिकित्सा अधिकारियों को एक घटना के बाद जांच का सामना करना पड़ रहा है, जहां एक सरकारी अस्पताल ने एक गर्भवती महिला को यह दावा करते हुए वापस भेज दिया कि उसके अजन्मे बच्चे की मृत्यु हो गई थी। महिला ने बाद में एक निजी अस्पताल में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया, जिससे देखभाल में एक बड़ा अंतर उजागर हुआ।
विनोद साव ने बताया कि वह अपनी पत्नी मनीषा देवी को शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल लेकर गए। हालांकि, चिकित्सा कर्मचारियों ने उसे भर्ती करने से इनकार कर दिया, कम हीमोग्लोबिन का हवाला दिया और भ्रूण की मृत्यु का आरोप लगाया। निराश होकर, विनोद ने एक निजी सुविधा में मदद मांगी, जहां मनीषा ने सफलतापूर्वक एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। विनोद साव ने सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने के लिए निजी अस्पताल के डॉक्टरों की प्रशंसा की।
इस घटना से एक आधिकारिक जांच शुरू हो गई है। हजारीबाग के उपायुक्त, शशि प्रकाश सिंह ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है, जिसमें शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के अधीक्षक को एक समिति स्थापित करने का निर्देश दिया गया है। उपायुक्त ने इस बात पर जोर दिया कि सरकारी अस्पतालों का मतलब सस्ती और गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्रदान करना है, लेकिन इस उदाहरण में, इलाज से इनकार कर दिया गया। निजी अस्पताल के मालिक, डॉ. प्रवीण कुमार के अनुसार, मनीषा ने प्रवेश के बाद कई आवश्यक परीक्षण करवाए, और परिणाम अनुकूल थे। मां और बच्चे दोनों अब अच्छे स्वास्थ्य में हैं।