अनुकम्पा के नियम हुए जब शिथिल : बेबस परिवारों की दूर हुई मुश्किल
वह चाहे मधु हो या योगिता, नंदिता हो, या फिर ओमप्रकाश, शिवानी, समीक्षा, मीरा मतलाम…किसी ने अपना पिता खोया तो किसी ने अपना पति.. कोरोना महामारी ने इन परिवारों का घर उजाड़ दिया। अनमोल रिश्तों के धागों में बंधे एक ही परिवार के सदस्यों की मौत ने इन सभी को कभी न भूलने वाला ऐसा गहरा जख्म दिया कि आज भी उसे याद कर पीड़ित परिवार सिहर जाते है। कोरोना से हमेशा के लिए मौत की नींद सो गए वे लोग जो घर के मुखिया थे, सरकारी नौकरी में थे और जिन पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी, अचानक से हुई उनकी मौत परिवार के लिए किसी सदमा से कम नहीं था। एक तरफ घर के कमाऊ सदस्य के एकाएक मौत का सबकों गम था तो दूसरी तरफ अनुकम्पा नियुक्ति को लेकर वर्षों पुरानी पेचीदगी। अनुकम्पा नियुक्ति में 10 प्रतिशत का सीमा बंधन होने की वजह से चौतरफा मुसीबत से घिरे परिवारों के पास सिवाए आंसू बहाने कुछ न था। ऐसे में प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की संवेदनशील पहल अनुकम्पा नियुक्ति के प्रावधानों को 31 मई 2022 तक शिथिल कर पीडित परिवार के आश्रित व पात्र सदस्यों को शासकीय विभाग में अनुकम्पा देने के त्वरित निर्णय ने कोरोना की लहर में उजड़ चुके परिवारों को फिर से संवारने का काम किया। बतौर अनुकम्पा सरकारी नौकरी मिलने से अनुकम्पा पाने वालों के दिल में अपने मृत पिता, पति या मां के सपनों को पूरा करने की उम्मीद बन गई है। ऐसे ही अनुकम्पा पाने वाले कुछ लोगों से जब मुख्यमंत्री का संवाद हुआ तो सभी ने अनुकम्पा नियुक्ति में नियम शिथिल किए जाने पर मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया वही मुख्यमंत्री भी सबकी आपबीती सुनकर भावुक हो गए…
अनुकम्पा पाने वाली श्रीमती मधु बेलचंदन अब राहत महसूस कर रही है। छत्तीसगढ़ सरकार की पहल और निर्णय ने उन्हें अनुकम्पा के रूप में सिर्फ नौकरी ही नहीं दी है, अपितु नौकरी के रूप में वह सहारा, विश्वास और आने वाले कल के लिए एक सुनहरा भविष्य की संभावनाएं भी दी है जोकि वह अपने पति के जीवित रहते अपने बच्चों और वृद्ध सास के लिए देखा करती थी। धमतरी जिले के आमदी के स्कूल में शिक्षक की नौकरी कर परिवार का जीवनयापन चलाने वाले पति की अचानक मृत्यु के बाद श्रीमती मधु बेलंचदन को अनुकम्पा के रूप में सहायक ग्रेड तीन के पद पर नौकरी मिली तो उनके मन में अपने पति के सपनों को पूरा करने का संकल्प था। वह कहती है कि मुख्यमंत्री ने अनुकम्पा नियुक्ति के नियम को शिथिल कर बड़ी राहत दी है। अब वह नई जिम्मेदारी के साथ अपने परिवार के सपनों को पूरा करेगी।
सरगुजा जिले की योगिता जायसवाल पूरी तरह से अपनी मां पर ही निर्भर थी। भृत्य के पद पर नौकरी कर परिवार का भरण पोषण करने वाली योगिता की मां चल बसी, कुछ दिन बाद उसके भाई की भी मृत्यु हो गई। परिवार में दो मौतों ने योगिता को झकझोर कर रख दिया। उसने बताया कि वह भीतर ही भीतर टूट गई थी। पिताजी बहुत पहले ही घर छोड़कर जा चुके थे। ऐसे में अकेली होने के कारण घर चलाने में भी उसे बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। मां की मौत के बाद अनुकम्पा के लिए वह कार्यालय भी गई लेकिन 10 प्रतिशत सीमा बंधन का प्रावधान उसकी नौकरी में रोड़ा बन रही थी।उसने बताया कि कोरोनाकाल में उसकी मुसीबत और बढ़ गई थी, ऐसे में सरकार द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति में 10 प्रतिशत का सीमा बंधन हटाने से उसकी भी नौकरी की राह आसान हो गई। योगिता ने बताया कि नगर निगम में सहायक ग्रेड तीन के पद पर नियुक्ति मिलने से उसकी मुसीबतें कम हुई है।